सद्धहस्त व्यंग्यकार केशव की उत्कृष्ट व्यंग्य कृति-“थाह-अथाह“ बहुआयामी व्यक्त्वि सम्पन्न स्वनाम धन्य पत्रकार केशव प्रसाद शुक्ल जी की ग्यारहवीं कृति थाह-अथाह समाज राजनीति शिक्षा और साहित्य में व्याप्त विसंगतियों एवं विद्रूपताओं का जीवंत दस्तावेज है। जहां एक ओर शुक्ल जी प्रखर व्यंग्यकर्मी हैं वहीं दूसरी ओर बाल विमर्श के मार्मिक चितेरे के रूप में भी विख्यात हैं। थाह-अथाह में अनेक व्यंग्यों को समाविष्ट कर सम्प्रति के ज्वलंत प्रश्नों को बहुत बारीकी के साथ उभारा है। इस अनुपम कृति में सामाजिक जीवन का यथार्थ चित्रण दर्शनीय है। शुक्ल जी के व्यंग्य शिल्पगत उत्कृष्टता के साथ चोट करने में भी ज़बरदस्त बन पड़े हैं। परिवेश परिवार और संस्कृति का सटीक चित्रण दृष्टव्य है।इस कृति में व्यंग्य कर्म का सम्पूर्ण सौष्ठव समाहित है।इनके व्यंग्यों में व्यंग्य की परिपक्वता के दर्शन होते हैं। आशा है सुधी पाठक बोनसाई बसंत शनिचरी मत जइयो कॉलर पकड़ संस्कृतिकहत कबीर व्यंग्य संग्रह की तरह थाह-अथाह को अपना प्यार एवं दुलार देंगे। मेरी अनन्त शुभकामनाएं हैं। प्रेमचंद जयंती 03। 08। 2021 नर्मदा प्रसाद मिश्र “नरम“ अध्यक्ष छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अखिल भारतीय हिंदी महासभा
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