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About The Book
Description
Author
कोहरा इतना गहरा था जैसे बादलों की टोली धरती पर उतर आई हो । ऐसा लग रहा था कि इस डरावनी अँधेरी रात में कम-से-कम मौसम मेरा साथ दे रहा था । सर्दियों की घनी धुंध ने जादूगर बन सबकुछ अपने अचल में समेट लिया था। मुझे भी । मैं दबे पाँव हॉस्टल के गेट से बाहर निकल आई। हवा का कण-कण ठंड से भरा हुआ था। पेड़ भी कुछ इस तरह से बर्फीली ओस से लदे थे कि उनके स्पर्श मात्र से कंपकैपी छूट जाए। मैं घुटनों के बल बैठकर गड्ढा खोदने लगी। इससे पहले कि घास में छिपी खून जमा देनेवाली ठंडक मेरी हड्डियों में जम जाती मैं घुटनों के बल बैठकर तेजी से गड्ढे को और गहरा खोदने लगी। मेरी सुन्न पड़ती उँगलियों ने सिक्के और ओइजा शीट को मिट्टी में गाड़कर ही राहत की साँस ली। मैंने राक्षसों को दफन कर दिया ।