About The Book

<b>पी. साईनाथ</b> पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया (PARI) के संस्थापक-संपादक हैं। वे 42 वर्षों तक पत्रकार और रिपोर्टर रहे हैं और उनमें से तीस वर्षों तक उन्होंने ग्रामीण भारत को पूर्णकालिक रूप से कवर किया है। जेएनयू से इतिहास में एमए करने के बाद साईनाथ 1980 में यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ इंडिया में शामिल हो गए। 1982 में वे <i>द डेली</i> के विदेशी संपादक और मुंबई में साप्ताहिक <i>ब्लिट्ज़ </i> के उप मुख्य संपादक बन गए। वे 2004 से 2014 तक <i>द हिंदू</i> के ग्रामीण मामलों के संपादक थे।<br><b>साईनाथ</b> ने 60 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टिंग पुरस्कार और फ़ेलोशिप जीते हैं। इनमें फुकुओका ग्रैंड प्राइज 2021 वर्ल्ड मीडिया समिट अवॉर्ड 2014 रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड 2007 एमनेस्टी इंटरनेशनल का ग्लोबल ह्यूमन राइट्स रिपोर्टिंग प्राइज और रामनाथ गोयनका जर्नलिस्ट ऑफ द ईयर अवॉर्ड शामिल हैं। <i>द लास्ट हीरोज़</i> किताब में भारतीय स्वतंत्रता के ये पैदल सैनिक हमें अपनी कहानियाँ बताते हैं। वे अलग-अलग क्षेत्रों से आते हैं उनमें नास्तिक और आस्तिक वामपंथी गांधीवादी और अंबेडकरवादी शामिल हैं।<br>पुस्तक की तस्वीरों में दिए गए लोगों ने दिलचस्प सवाल उठाया : <i>स्वतंत्रता क्या है?</i> उनमें से लगभग सभी ने वर्ष 1947 के बाद भी लंबे समय तक आज़ादी के लिए अपनी लड़ाई जारी रखी। 1947 के बाद की पीढ़ियों को भारतीय स्वतंत्रता के पैदल सैनिकों की कहानियों की ज़रूरत है। यह जानने के लिए कि आज़ादी और स्वतंत्रता एक चीज़ नहीं हैं।
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