इस पुस्तक का विषय आत्म-विनाश है। हम ऐसा क्यों करते हैं कब करते हैं और अपनी भलाई के लिए इसे कैसे रोकें। सह-अस्तित्व लेकिन परस्पर विरोधी ज़रूरतों के कारण आत्म-विनाशकारी व्यवहार किए जाते हैं। यही कारण है कि हम परिवर्तन के प्रयासों का विरोध करते हैं अक्सर तब तक जब तक कि वे पूरी तरह से व्यर्थ न लगने लगें। लेकिन अपनी हानिकारक आदतों से एक निर्णायक अंतर्दृष्टि प्राप्त करके अपने मस्तिष्क और शरीर को बेहतर ढंग से समझकर भावनात्मक बुद्धिमत्ता का निर्माण करके पिछले अनुभवों से एकदम बुनियादी स्तर तक मुक्त होकर और अपने सर्वोत्तम संभावित भविष्य के रूप में कार्य करना सीखकर हम अपना रास्ता तलाश सकते हैं और अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन कर सकते हैं। सदियों से पर्वत के रूपक का प्रयोग उन बड़ी चुनौतियों के लिए किया जाता रहा है जिनका हम सामना करते हैं खास कर उन चुनौतियों के लिए जिन पर विजय पाना असंभव लगता है। अपने चुनौतियों के पहाड़ों को जीतने के लिए वास्तव में हमें अपने मानसिक आघातों को खोजकर हटाने अपने आपको लचीलापन बनाने और चढ़ाई करने के लिए अपनी तैयारियों को समायोजित करने जैसे काम अपने भीतर से करने होंगे। अंन्ततः हम पर्वत पर नहीं स्वयं पर विजय प्राप्त करते हैं।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.