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About The Book
Description
Author
अमर कथाशिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु के उपन्यास अगर लोकजीवन के महाकाव्य हैं तो उनकी कहानियाँ अविस्मरणीय कथा-गीत। ये मन के अछूते तारों को झंकृत करती हैं। इनमें एक अनोखी रसमयता और एक अनोखा सम्मोहन है। ठुमरी में रेणु की नौ अतिचर्चित कहानियाँ संगृहीत हैं। इन कहानियों में जैसे कथाकार ने अपने प्राणों का रस घोल डाला है। इन्हें पढ़ते-पढ़ते कोमलतम अनुभूतियाँ अपने-आप सुगबुगा उठती हैं। चाहे वह ‘रसप्रिया’ या ‘लाल पान की बेगम’ हो या ‘तीसरी कसम’ - इस संग्रह की लगभग हर कहानी मन पर अपनी कभी न मिटने वाली छाप छोड़ जाने में समर्थ है। ‘ठुमरी’ की कहानियाँ जीवन की सहज लय को मोहक सुरों में ने का कलात्मक प्रयास हैं। इनमें पीड़ा और अवसाद की अनुगूँजें हैं आनंद और उल्लास के मुखरित कलरव-गान हैं। ठुमरी की कहानियाँ एक समय-विशेष की पहचान है ! जीवन की एक विशिष्ट लायधरा इनमे पूरी प्राणमयता से प्रवाहित है|