‘टिकट-संग्रह’ में एक जगह कारेल चापेक कहते हैं ‘किसी चीज़ को खोजना और पाना मेरे ख़याल में ज़िन्दगी में इससे बड़ा सुख और रोमांच कोई दूसरा नहीं। हर आदमी को कोई-न-कोई चीज़ खोजनी चाहिए। अगर टिकट नहीं तो सत्य या पंख या नुकीले विलक्षण पत्थर।’ वस्तुत: वे अपनी तमाम कहानियों में व्यक्ति के ‘निजी सत्य’ को खोजने के लिए संघर्षरत नज़र आते हैं—एक भेद एक रहस्य एक मर्म जो ज़िन्दगी की औसत और क्षुद्र घटनाओं के नीचे दबा रहता है।
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