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About The Book
Description
Author
3 जुलाई 1999 की रात मात्र 19 साल के योगेंद्र सिंह यादव को 18 ग्रेनेडियर्स की घातक प्लाटून के साथ एक बेहद महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यह जिम्मेदारी अभेद्य टाइगर हिल पर कब्ज़ा जमाने की थी। तोलोलिंग हिल पर कब्ज़ा हो जाने से उत्साहित यूनिट का जोश हाई था लेकिन उसने भारी नुकसान भी झेला था। दुर्गम इलाके जमा देनेवाली सर्दी और दुश्मन की भयंकर गोलाबारी का सामना करते हुए घातक प्लाटून में सबसे पहले वही चोटी पर पहुँचे थे। भले ही कई गोलियाँ और ग्रेनेड के टुकड़े उनके शरीर को भेद चुके थे फिर भी उन्होंने दुश्मन के बंकरों पर धावा बोला और रेजिमेंट के लिए रास्ता साफ किया ताकि वे टाइगर हिल की ऊँची चोटियों पर फिर से कब्ज़ा जमा सकें। कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में असाधारण वीरता अद्भुत शौर्य अदम्य साहस और संकल्प का परिचय दिया जिसके कारण वे भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र को प्राप्त करनेवाले सबसे कम उम्र के सैनिक बने।