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About The Book
Description
Author
लॉकडाउन के कारण एक मल्टीनेशनल कंपनी के पास बैठने वाले मोची नरेश का काम-धंधा बंद हो गया. मुकेश के कारखाने पर ताला लटक गया सो उसे अपनी बूढ़ी माँ को कन्धे पर लादकर पैदल ही दिल्ली से गाँव निकलना पड़ा. महेश चोरी करता था लेकिन आजकल वो भी बेरोजगार है. उधर सोहनलाल जी के पास भी शराब की आखिरी बोतल बची है. उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है कि बोतल का ढक्कन खोलें या सिर्फ उसे निहारते रहें. कोरोना वायरस के डर के कारण मोहल्ले के लोगों ने भी अपने घर के दरवाजे बंद कर रखे हैं जिसके कारण शेरू भूख से बेहाल है. कोई उसे रोटी ही नहीं डाल रहा है. कॉलेज बंद होने के कारण आदित्य अपनी प्रेमिका से नहीं मिल पा रहा है. सबकी अपनी तकलीफें हैं और अपने संघर्ष. पर स्वघोषित वैज्ञानिक श्रीनिवासन के लिए तो यह ‘गोल्डन चांस’ है. वह कोरोना वायरस की दवा की खोज में लग गए हैं. ऐसी ही बीस रोचक थोड़ी हँसाने और थोड़ी रुलाने वाली कहानियाँ इस पुस्तक का हिस्सा हैं. इन कहानियों के किरदार आप मैं कोई भी हो सकता है.