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About The Book
Description
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This combo product is bundled in India but the publishing origin of this title may vary.Publication date of this bundle is the creation date of this bundle; the actual publication date of child items may vary.जीवन क्या है?<br>उस जीवन के प्रति प्यास तभी पैदा हो सकती है जब हमें यह स्पष्ट बोध हो जाए हमारी चेतना इस बात को ग्रहण कर ले कि जिसे हम जीवन जान रहे हैं वह जीवन नहीं है । जीवन को जीवन मान कर कोई व्यक्ति वास्तविक जीवन की तरफ कैसे जाएगा? जीवन जब मृत्यु की भांति दिखाई पड़ता है तो अचानक हमारे भीतर कोई प्यास जो जन्म-जन्म से सोई हुई है जाग कर खड़ी हो जाती है । हम दूसरे आदमी हो जाते हैं। आप वही हैं जो आपकी प्यास है । अगर आपकी प्यास धन के लिए है मन के लिए है अगर आपकी प्यास पद के लिए है तो आप वही हैं उसी कोटि के व्यक्ति हैं। अगर आपकी प्यास जीवन के लिए है तो आप दूसरे व्यक्ति हो जाएंगे। आपका पुनर्जन्म हो जाएगा।<br>ओशो<br>पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदुः<br>* वास्तविक जीवन क्या है?<br>* चित्त की स्वतंत्रता ही सत्य का मार्ग है<br>* न तो विचार द्वार है न अविचार द्वार है--द्वार है निर्विचार-सजगता<br>* जीवन को तो वही उपलब्ध होगा जो जागरण के पक्ष में होओशो द्वारा सूफी झेन एवं उपनिषद की कहानियों एवं बोध-कथाओं पर दिए गए सुबोधगम्य 19 अमृत-प्रवचनों की श्रृंखला बिन बाती बिन तेल में से संकलित पांच (11 से 15) प्रवचन जिसके अनुसार झेन फकीर कहते हैं संन्यासी ऐसा हो जाता है जैसे वृक्ष की छाया। संन्यासी अपने को हटा लेता है दूसरों के मार्ग से। वह शोरकुल नहीं करता। वह किसी को बाधा नहीं देता। वह छाया की भांति हो जाता है। डोलता जरूर है लेकिन धूल हिलती नहीं। ऐसा- नहीं जैसा हो जाने का नाम संन्यास है। और वहीं कुंजी है संसार के बाहर जाने की। तुम संन्यस्त हुए कि जिनने तुम्हें कारागृह में बांधा है वे द्वार खोल देंगे। अगर वे द्वार अभी भी बंद किए हैं तो उसका मतलब इतना है कि तुम अभी भी बैठ जागे जीवन से भरे इच्छा से भरे बैठे हो।