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About The Book
Description
Author
लेखक मुकेश भंसाली मुंबई शहर से आते हैं । हिंदुजा महाविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी करके मुकेश जी ने मुंबई में ही पर्यटन का व्यापर स्थापित किया जहाँ से वह लोगों को देश-विदेश की यात्रा मुहैया कराते हैं और अपने व्यापार के अनुरूप और लिखने के शौक अनुसार खुद भी कई देशों का भ्रमण करते रहते हैं । मुकेश जी को गीत ग़ज़ल कविता और शायरी का शौक तो शायद पिछले जन्म से ही था और फिर कालेज के दिनों में सब यथार्थ सा लगने लगा । दिल का लगना और दिल्लगी करना ग़ज़ल सुनना गीत गाना शायरी लिखना और सुनाना बाद में शौक बन गया । किसी को तस्सवुर में सजाते रहे बाद उन ख्यालों को लिखते रहे पता ही नहीं चला की कब सुखनवर हो गये । इनका कहना है की जो इख्तियार में ना था और जो सिर्फ तमन्ना बन कर रह गई वो ख्याल वो ख़लिश और वो ख्वाब जो ज़िंदगी में ना शामिल हो पाये उन्हें कागज पर दर्ज कर एक सकुन का एहसास सा महसूस होता है हालाँकि दर्द अपनी जगह मुक्कमल रहा ! इस किताब के ज़रिये मुकेश जी ने फिर से एक बार उन सभी लम्हों और जज़्बात को अपने विचारों के गलियारों से निकाल कर एक कागज़ के टुकड़े पर रखने की कोशिश की है ।