*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹169
₹199
15% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
मैं कुछ कहूं...... अगर मैं कुछ कहूं इस किताब के बारे में तो शायद ये मेरे लिए बहुत ही मुश्किल होगा की मैं कहाँ से शुरु करूं | असल तो ये है पिछले काफी लम्बे समय से कुछ न कुछ थोड़ा-थोड़ा लिख रहा था | इक्का-दुक्का लोग पढ़ लेते थे या सुन लेते थे उनमे से कुछ आलोचक कुछ प्रशंसक | जहाँ इक तरफ प्रशंसकों की तारीफ़ से कुछ उत्साहित होता वहीं दूसरी तरफ आलोचकों से अपमानित भी होना पड़ता और कहीं न कहीं दिल में हीन भावना भी घर कर जाती | पर ये तो सच था इस तरीके से न तो मैं अपने काम का अंदाजा लगा पा रहा था और न ही खुद को बेहतर बना पा रहा था अच्छा होता अगर इन्ही आलोचकों में से कुछ मेरे गुरु या मार्गदर्शक की भूमिका भी निभा देते तो मुझे भी अपने कलम की कमियों को दूर करने का मौका मिलता | खुद को प्रोत्साहित करने और बेहतर बनने के दिशा में यह किताब पेश करने का ख्याल आया | बहुत कुछ सुधरने के बाद भी काफी कमियां होगी क्योंकि बहुत से लोगों की राय में ये महज एक काल्पनिक शब्दों की दुनिया हो सकती है | मगर मेरे ख्याल में इस किताब में जो कुछ लिखा गया जो भी आप पढेंगें या महसूस करेंगे अधिकतर जिंदगी के वास्तविक पहलुओं से आया है | मेरे इस प्रयास मैं इस धारणा का खंडन करता हूँ जो मैंने ज्यादातर लोगों से सुना कि किसी भी प्रकार का काव्य या गद्य जीवन के उस हिस्से से आता है जो उदासी में जिया गया हो में ख़ुशी गमीं उदासी उत्साह निराशा प्यार समाज पारिवारिक और बहुत सी परिस्थितियों के कुछ वास्तविक और कुछ काल्पनिक चित्रण देखने को मिल सकते हैं | कुछ बेहतर की उम्मीद के साथ आपके सामने अपना पहला प्रयास पेश करता हूँ | मुझे आशीष दें..............दीवाना देव