यह पुस्तक मेरे जीवन के निजी प्रेम के अनुभव का दस्तावेज़ है। जिसमें कल्पना का सहारा उतना ही लिया गया है। जिससे उसके भाव पर ज्यादा बोझ न लद जाए। प्रेम की एक घटना जो आन्तरिक तौर पर हृदय में बदलाव का कारण बनी। हुआ यूँ कि वो एक तसवीर के रूप में मेरे सामने आई। बस उसका पहला खिचाव था। बस ये लगा जैसे ज़िन्दगी उसी के लिए थी। शुरूआत के लगभग पूरे एक बरस रात रात भर जागते जागते बीते और कैसे बीत गए। पता भी न चला। फिर कविताओं में प्राणाहुति हो गई। जिसके बाद अन्दर का जीवन बदल सा गया। जिसे शब्दों में बाँध पाना मेरे लिए असंभव सा रहा। प्रेम सहारा है। हर क्षण हमें संभाले रहता है।