आशीष की कविताओं में इनकी स्वयं की उपस्थिति है किसी अन्य कवि की छाया नहीं है। यह कवि अपने पांव से चलना चाहता है किराए के पांव पर नहीं । आजकल कविताओं में एक सा पन दिखता है मगर आशीष की कविताएं इससे मुक्त हैं। एक सा पन सफल उत्पाद की विशेषता हो सकती है सृजन की नहीं । कवि का अपना व्यक्तित्व होता है अगर उससे एक व्यक्ति भी प्रभावित होता है तो यह काफ़ी है । यही रचना की सफलता होती है । रचना का आकलन आज नहीं तो कल होगा इसलिए कभी को भवभूति की तरह लिखना चाहिए । आशीष की कविताओं में अपने शहर का स्वभाव ही नज़र आता है। इन कविताओं में इनका अपना चेहरा दिखता है।---जय कुमार जलज
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