मैं स्वयं के बारे में क्या कहूँ समझ नहीं आता। कविता के प्रति मेरा प्रेम मुझे लेखन तक कब कैसे ले आया पता ही न चला। यहाँ-वहाँ कागज़ के टुकड़ों पर अपने मनोभाव उतारते उतारते इनको संकलित कर पुस्तक का आकार देने का मानस बन गया। किसी कवि की कविताओं को पढ़ना एक ऐसे सदाबहार जंगल से गुज़रना है जहाँ अलग-अलग किस्म के फूल हर मौसम में खिलते रहते हैं और अपनी भीनी सुगंध से सराबोर करते हैं। मेरी कविताएँ चूंकि बहते हुए भावों का प्रवाह हैं इसलिए ये किसी ख़ास विधा और भाषा में नहीं बंध पाई। ये भावों का गुलदस्ता आपको पसंद आये इसी अभिलाषा के साथ मेरा प्रथम कविता संग्रह आप के समक्ष प्रस्तुत है। ---आपकी अंजना
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