Tumhare Jane ke Baad

About The Book

यह किताब एक हारे हुए आदमी की है जिसने लड़ना नहीं छोड़ा एक पहाड़ की है जिसने अभी अभी एक नदी को विदा किया है एक रेलगाड़ी की है जो अपने आखिरी स्टेशन पर एकदम खाली खड़ी है प्रेम करते हुए उन लोगों की है जिन्होंने प्रेम में प्राप्ति को कभी सर्वोपरि नहीं माना और उन अनगिनत असंख्य लोगों की है जो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कवि हो सकते थे लेकिन उन्होंने इसलिए कलम नहीं उठाई क्योंकि उनके हाथों में दफ्तर की ढेरों फाइलें बच्चों के खिलौने घर का राशन या दवाइयों आदि का थैला था। इसी के साथ यह किताब उन लोगों की है जिनके मन में समय-बेसमय ये सब कविताएँ उगी थीं लेकिन किसी कारणवश वे इन्हें पाल-पोस कर बड़ा नहीं कर पाए।
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