कुछ जख्म ऐसे होते हैं जो दिखाई नहीं देते मगर हर सांस के साथ टीस बनकर रिसते रहते हैं। ये कविताएँ उन्हीं घावों की आवाज़ हैं जो कभी चीख नहीं सके और न ही आंसू बनकर बह पाए। हर शब्द एक टूटी उम्मीद का टुकड़ा है जो बरसों पहले बिखर गया था मगर उसकी किरचियां आज भी सीने में चुभती हैं। ये पंक्तियाँ उन खामोश सिसकियों का दस्तावेज़ हैं जो रात के सन्नाटे में घुटकर दम तोड़ देती हैं।कुछ दर्द ऐसे होते हैं जिन्हें बांटने के लिए कोई कंधा नहीं मिलता — बस कागज़ ही उनका सहारा बनता है। इन कविताओं में वही खामोश आहटें हैं जो बरसों से दिल की दीवारों से टकरा रही थीं। शायद इनमें तुम्हें अपनी कोई टूटी हुई दुआ मिल जाए कोई खोया हुआ सपना फिर से करवट ले... या वो चेहरो याद आ जाए जिसे भूलने का नाटक करते-करते भी तुमने हर रात उसकी परछाई में खुद को खो दिया था। ये कविताएँ सिर्फ़ शब्द नहीं — ये उन लम्हों की गवाही हैं जिन्हें वक्त भी भुला ने सका। हर पंक्ति में कहीं न कहीं एक अधूरा इश्क है एक अनकहा अलविदा और कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब कभी मिल नहीं पाए। यह संग्रह उन आवाज़ों का मंच है जो दिल में दब तो गई मगर मर नहीं सकीं।शब्दों के बीच जो खालीपन है शायद वहाँ तुम्हारे जख्मों की परछाई भी दिखे और अगर दिखे तो समझ लेना कि तुम अकेले नहीं हो।
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