जीवन एक यात्रा की तरह है। कविताएं भी उसी यात्रा की देन रहीं। I इस कविता-यात्रा में मेरे पति करुणा शंकर पूरे मन से साथ चलते रहे। अच्छा लगा। साथ ही लगभग हर कविता में साक्षी के आगे उसके बच्चे हैं वो युवा-मन है जिसे हमारी पीढ़ी ने बहुत प्रेम से सहेजा नहीं। इसलिए ये कृति समर्पित है मेरे इन्हीं बच्चों को।
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