हिमांशु जोशी ने पहाड़ी कर्मठ और जूझनेवाले व्यक्ति की तरह अपने मुश्किल दिनों को पूँजी बनाकर रखा तभी तो लिख पाये सु-राज और उस पहाडी मासूमियत की अनमोल कहानी अंततः को रचकर वह चितेरा अमर रहेगा।<br>मैं किस तरह श्रद्धांजलि दूँ उनको। बार-बार अंततः कहानी को जीवंत करने कराने के यत्न जारी रहेंगे। कगार की आग मंच पर दिखेगी । लेखक का अवसान कभी नहीं होता। हिमांशु जोशी पीढ़ी-दर-पीढ़ी पढ़े जाएंगे। हर पीढ़ी का युवा छाया मत छूना मन से जुड़ना चाहेगा।<br>- मैत्रेयी पुष्पा सुप्रसिद्ध कथाकार
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