टूटते इंद्रधनुष में स्त्री के मन और उसकी इच्छायें उसके सपनों को अल्फाज़ देने की अनोखी पहल दृष्टिगोचर होती है। वर्तमान आधुनिक जीवन उपभोक्तावाद आपस में उलझते रिश्तों को उजागर करते इन कहानियों के पात्र हताश पराजित होकर आत्मसमर्पण नहीं करते हैं वरन् अपने हृदय की कमजोरियों पर विजय पाकर जीवन निर्माण का सूत्र बनकर उभरते हैं। डॉ. अनीता सिंह चौहान का यह नवीनतम चौथा कहानी संग्रह है।
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