सच्ची घटनाओं पर आधारित 1857 के पहले स्वतंत्रता-संग्राम की पृष्ठभूमि पर लिखा गया यह उपन्यास इतिहास के शिकजें में जकड़े प्रेम-भरे दिल की एक दास्तान है। रूथ एक अंग्रेज़ लड़की है जो अपने माता-पिता के साथ शाहजहांपुर में रहती है। चर्च में आते-जाते रूथ एक पठान नवाब जावेद खान के मन को भा जाती है। विद्रोहियों और अंग्रेज़ी फौजियों के बीच छिड़ी लड़ाई से बचने के लिए रूथ और उसकी मां को जावेद खान के पास पनाह लेनी पड़ती है। क्या जावेद खान रूथ को अपना बना पाता है ? रूथ के मन में जावेद खान के प्रति घृणा और क्रोध क्या प्यार में बदल जाता है ? दिल की इन्हीं सब परतों में छिपी भावनाओं को एक मार्मिक कहानी में बदल दिया है रस्किन बांड की कलम ने जिस पर श्याम बेनेगल ने 1979 में ‘जुनून’ फिल्म भी बनाई थी। "रस्किन बांड का यह उपन्यास अति पठनीय...आखिरी पन्ना पलटते हुए अफसोस होता है कि उपन्यास खत्म हो गया...दिल को छू लेने वाली कहानी बहुत देर तक याद रहती है।" -संडे ट्रिब्यून "1857 की आज़ादी की लड़ाई पर आधारित यदि आप कोई उपन्यास खोज रहे हैं तो रस्किन बांड का यह उपन्यास सबसे बेहतर है।" -हिन्दुस्तान टाइम्स
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