नीम तले घास के बिछावन-सी मख़मली कहानियाँ। शफ़्फ़ाफ़ बर्फ़ पर स्कीइंग करते स्कीबाज़-सी फिसलती कहानियाँ। गंगा किनारे सखियों संग दौड़ती अल्हड़ बाला की गंगोत्री जल बरसाती हँसी-सी कहानियाँ। इंतज़ार में बुझती विरहिणी-सी जलती कहानियाँ। बेफिक्र बेलौस यारों संग मुसीबतों की खिल्ली उड़ाती कहानियाँ। इस संग्रह ‘उदास पानी में डूबा चाँद’ की कहानियों में ऐसे कितने ही रंग हैं जो आपको अपने रंग में रंग लेंगे। कहीं मिलन तो कहीं बिछड़न! कहीं साहसी निर्णय लेती आत्मनिर्भर नायिका तो कहीं सूखे पत्ते-सा टूटकर गिर गया नायक जो धूल झाड़ फ़िर खड़ा होने का हौंसला करता है। लेखक नीरज कुमार उपाध्याय की अनेक रंगों की इन चौदह कहानियों में आपके डूब जाने और खो जाने का पूरा ख़तरा है; किसी की नीम-बाज़ आँखों में डूबकर किसी की नींद खो जाने-सा।
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