गुरुगीता एक दिव्य ग्रंथ है जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती के बीच हुए अद्भुत संवाद का वर्णन है। इसमें गुरु की महिमा साधना का मार्ग और आत्मबोध के रहस्य प्रकट होते हैं। यह ग्रंथ पाठक को गुरु के महत्व शिष्य की आस्था और जीवन में ज्ञान की भूमिका को गहराई से समझाता है। सरल भाषा और भावपूर्ण अनुवाद के माध्यम से यह पुस्तक अध्यात्मप्रेमियों साधकों और जीवन के सत्य की खोज करने वालों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होती है। इसमें न केवल शास्त्रीय तत्वों का समावेश है बल्कि आज के समय के लिए भी व्यावहारिक प्रेरणा छिपी हुई है।
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