21वीं सदी के दूसरे दशक में पूरी दुनिया में कई तरह के बदलाव हुए। राजनीतिक स्तर पर लोकतंत्र के माध्यम से विकासशील और विकसित दोनों तरह के देशों में कई जगहों पर ऐसी सरकारें बनीं जो अधिनायकवादी शासन को विचार और व्यवहार के स्तर पर प्रेरित करती रही हैं। इसका प्रभाव व्यापक तौर पर वहाँ के सामाजिक ढाँचे और जन-मनोविज्ञान पर पड़ा। भावनात्मक मुद्दों को प्राथमिकता दी गई अल्पसंख्यकों का दमन हुआ तथा न्याय लोककल्याण और समानता को प्राप्त करने की प्रक्रिया को कमज़ोर करने की कोशिश की गई। इसके प्रतिरोध में रचनात्मक और आंदोलनात्मक स्तर पर जनता मुखर हुई। दमन भी सहा और अपनी माँगें मनवाने में कामयाब भी कई बार रही। इस पूरे दौर में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लिखे गए लेखों को इस पुस्तक में संकलित किया गया है।
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