एडवर्टाइसिंग कंपनी में ग्राफिक डिजाइनर अमन की एक अचानक घटी घटना के कारण मुलाक़ात होती है चाय की दुकान पर काम करने वाले 10 साल के सुनील से। सुनील से मिलकर अमन को मालूम होता है कि जब सुनील बहुत छोटा था तभी उसके पिता की मौत हो चुकी है। मासूम सुनील पढ़ना चाहता है उसके बहुत सारे सपने हैं लेकिन घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से उसे पढ़ाई छोड़कर चाय की दुकान पर काम करना पड़ रहा है। सब जानकर अमन सुनील के सपनों को पंख देने की कोशिशों में जुट जाता। उसे अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वो लगातार नये रास्तों की तलाश में लगा रहता है। उसकी कोशिशों मे साथ देने के लिए उसके साथ है उसका दोस्त रोहित। दोनों मिलकर सुनील के सपनों की उड़ान के लिए उम्मीदों का आसमान बनाने में लग जाते हैं।
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