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About The Book
Description
Author
हिन्दी साहित्य जगत में श्री भैरवप्रसाद गुप्त का व्यक्तित्व विशेष महत्व रखता है। प्रेमचन्दोत्तर हिन्दी कथा-साहित्य में जनतांन्त्रिक मूल्यों के पक्षधर कथाकार गुप्तजी का नाम अमर हैं। उनकी साहित्य साधना दीर्घकालिक एवं अनवरत है। उनके कथा-साहित्य में समूचे भारत के सामाजिक आर्थिक राजनैतिक धार्मिक एवं सांस्कृतिक परिदृश्य का विस्तृत एवं सुन्दर चित्रण किया गया है। गुप्तजी ने साहित्य को बौद्धिक तथा मनोरंजन का साधन न मानकर समाज को बदलने का हथियार माना है। वे एक संघर्षशील सर्जनात्मक व्यक्तित्व के साथ ही प्रेमचन्द परंपरा को आगे बढ़ानेवाले संघर्षी संपादक भी हैं। गुप्तजी के कथा-साहित्य के प्रति मेरे मन में इंटर मीडियेट स्तर से ही आकर्षण रहा है। वहाँ मुझे गुप्तजी के नयी पीढ़ी (नौजवान) उपन्यास तथा स्नातक स्तर में गंगा मैया उपन्यास पढ़ने का अवसर मिला। ये दोनों उपन्यास मेरे मन में गुप्तजी के साहित्य के प्रति अगाध श्रद्धा उत्पन्न कर दी। गुप्तजी के उपन्यासों का विचार करने के पश्चात् मुझे मालुम हुआ कि उन्होंने अपने उपन्यासों में समाज के बहु आयामी चित्र प्रस्तुत किया है। गुप्तजी बुनियावादी वर्गों किसान और मज़दूर को अपनी रचना के केन्द्र में रखते हैं। मशाल गंगा मैया सती मैया का चौरा और धरती उपन्यास इस दृष्टि से उनके महत्वपूर्ण उपन्यास है। दूसरी ओर वे क्रान्ति में मध्यवर्ग की भूमिका को भी उचित महत्व देते हैं। अन्तिम अध्याय नौजवान भाग्य देवता आदि उपन्यास इसका उदाहरण है। गुप्तजी के सभी उपन्यासों में नारी शोषण एवं नारी चेतना का चित्रण देख सकते हैं। अक्षरों के आगे मास्टरजी उपन्यास में शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला गया है।