पिछले कुछ दशकों में आतंरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां अधिक स्पष्ट एवं गत्यात्मक हुई हैं। पारंपरिक चुनौतियां जैसे आतंकवाद नक्सलवाद जम्मू कश्मीर में अतिवादी आंदोलन उत्तर-पूर्व का उग्रवाद आदि पर यद्यपि बड़े स्तर पर नियंत्रण किया जा सका है परंतु सरकार के सफलतम प्रयासों के बाद भी इनका खतरा बरकरार है। वहीं आंतरिक सुरक्षा को बनाए रखने के परिप्रेक्ष्य में साइबर हमले धनशोधन भीड़ का उपद्रव डिजिटल निरक्षरता इत्यादि सरकार के लिए गंभीर चुनौती बनने की सीमा तक उभरकर सामने आए हैं। इस संदर्भ में यह पुस्तक आतंरिक सुरक्षा से संबंधित प्रमुख मुद्दों की व्याख्या करने एवं विविध चुनौतियों पर समग्र दृष्टिकोण प्रदान करने का प्रयास करती है। साथ ही संकटों को सुलझाने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों को भी संरेखित करती है। इस प्रक्रिया में यह अध्येताओं को परीक्षापयोगी विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए बेहतर सुविधा प्रदान करती है।
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