अख्तर शीरानी की शायरी में इश्क़ की लज्ज़त है तो मुहब्बत की तड़प भी और इसी का रंग उनकी शायरी में उतरा नज़र आता है। यही वजह है कि उनको मोहब्बत का शायर कहा जाता है। अगर उनको मोहब्बत का सबसे बड़ा शायर कहें तो अतिशयोक्ति न होगी क्योंकि नारी को और उसके कारण प्रेम और रोमांस को अपना काव्य-विषय बनाने वाले आधुनिक उर्दू-शायर अंदरूनी अनुभूतियों के अतिरिक्त बाहरी प्रेरणाओं को भी अपने सामने रखते हैं। वे प्रकृति की खूबसूरती को नारी की शक्ल देकर अपनी शायरी में सँवारते हैं और यह नारी ही उनकी शायरी की आत्मा है और आकार भी। इसीलिए कभी वह सलमा के रूप में तो कभी रेहाना के रूप में और कभी शीरी के रूप में हमारी संवेदना में घुलती है। गद्यलेखक के रूप में उनका स्थान व श्रेणी का निर्धारण अभी तक उपेक्षित है। यूं तो अख्तर शीरानी को महान शायर या अदीब कहना अतिश्योक्ति होगी निःसंदेह उर्दू साहित्य का लघु से लघु इतिहास भी उनके उल्लेख के बिना अधूरा ही रहेगा।“ग़रज़ ‘अख़्तर’ की सारी ज़िंदगी का ये खुलासा है!कि फूलों की कहानी कहिए शोलों का बयां लिखिए!!
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