Urdu Ke Mashhoor Shayar Iqbal Aur Unki Chuninda Shayari - (उर्दू के मशहूर शायर इक़बाल और उनकी चुनिंदा शायरी)

About The Book

इकबाल देशप्रेम और ब्रिटिश हुकूमत के विरोध में ही लिखा करते थे। उन्होंने भारत की पराधीनता और दरिद्रता के साथ ही साथ भारत के प्राकृतिक सौन्दर्य पर भी कलम चलाई। इकबाल की रचनाएं ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा’ के अलावा ‘लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी’ और ‘शिकवा’ तथा ‘जवाबे-ए-शिकवा’ बेहद मशहूर रचनाओं में शामिल हैं। असरार-ए-खुदी रुमुज-ए-बेखुदी और बंग-ए-दारा जिसमें तराना-ए-हिन्द शामिल हैं। फारसी में लिखी इनकी शायरी ईरान और अफगानिस्तान में बहुत मशहूर है जहाँ इन्हें इकबाल-ए-लाहौर कहा जाता है। इन्होंने इस्लाम के धार्मिक और राजनैतिक दर्शन पर काफी लिखा है। ये इकबाल ही थे जिन्होंने सबसे पहले इंकलाब शब्द का इस्तेमाल राजनीतिक और सामाजिक बदलाव के लिए किया। उन्होंने ही सबसे पहले उर्दू शायरी को क्रांति की विषय-वस्तु बनाया। जो जाहिर है आज की नौजवान पीढ़ी को राह दिखाएगी। कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी सदियों रहा है दुश्मन दौरे जमां हमारा॥.
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