Urdu Ke Mashhoor Shayar Meer Aur Unki Chuninda Shayari - (उर्दू के मशहूर शायर मीर और उनकी चुनिंदा शायरी)

About The Book

मीर’ की शायरी जहां एक ओर br>सीधी-सादी है वहीं उसमें कहीं-कहीं कटुता भी दिखाई देती है। यूं तो ‘मीर’ की शाइरी में उनके आशिकाना मिज़ाज मिलते हैं लेकिन उन्होंने इसके अलावा भी बहुत-कुछ लिखा है।‘मीर’ का नाम आज भी बड़ी शिद्दत से लिया जाता है और आगे भी भविष्य में भी उर्दू अदब की एक रौशन मीनार के रूप में उतने ही शिद्दत के साथ याद किया जाता रहेगा।.About the Authorनरेन्द्र गोविन्द बहल उर्दू और हिन्दी कविता में गहन रुचि रखते है जिसके कारण उन्होंने अधिकतर मुशायरों व कवि सम्मेलनों में शिरकत की थी इन्हीं आयोजनों की वजह से उन्हें साहित्य लेखन का भी शौक पैदा हुआ। लेखक की विभिन्न विषयों पर अब तक 60 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। लालकिले में होने वाले कवि सम्मेलन और मुशायरों से कविता-शायरी के प्रति प्रेम बढ़ा और वहीं से उन्होंने उन्हें कविता लिखना भी प्रारंभ कर दिया था। कविता गीत गजल शायरी को समझने के लिए उर्दू के मशहूर शायरों के जीवन के बारे में जानने के लिए उर्द भाषा सीखी।जब लेखक साहिर लुधियानवी कैफ़ी आज़मी जान-ए-सार अख्तर अली सदार जाफरी मजाज नरेश कुमार 'शाद' आदि शायरों से मिले तो उनका पाठकीय दृष्टिकोण बदलने लगा और उन्होंने गालिब फैज़ जफ़र दाग आदि रचनाकारों को भी पढ़ना शुरू किया। इन शायरों को पढ़ते हुए लेखक के मन में एक उत्साह पैदा हुआ कि इन शायरों की पुस्तकें संपादित की जाएं। यह पुस्तक भी इसी उत्साह का नतीजा है।.
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