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About The Book
Description
Author
तन और मन जीवत जीवन के दो गतिशील ऊर्जा स्रोत है। उत्तम आहार से तन और सुंदर विचारों से मन प्रसन्न होता है। ये सच है कि जीवन में हर सपना और वादा पूरा तो नहीं होता पर जोश और जुनून से भरे बंदे का इरादा अचूरा भी नहीं रहता। सोच बड़ी हो तो बड़े-बड़े लोग आपके बारे में सोचना शुरू कर देते हैं यही सोच आपमें जोश जुनून और हौसला भरती है। जीने का है जुनून तो जीवन में जलवा है वरना ये जीवन तो गर्दिश का मलवा है। असीम ऊर्जा भंडार के नायक मानव अपने अंदर छिपे ऊर्जा स्रोत के भयंकर परिणाम से जब तक अनजान और बेपरवाह है तब तक भीड़ में उसकी पहचान नहीं बन पाती है। हर्षित तन और उर्जित मन होने पर जीवन की डायरी से असंभव शब्द गौण हो जाता है। सकारात्मक ऊर्जा का संचार होते ही जीवन में आनंद उत्साह और उमंग की त्रिवेणी का समागम होता है जो रोके नहीं रुकता है; झझावात के आगे न टूटता है न झुकता है आगे बढ़ते रहना उसकी नियति बन जाती है। लहरों के प्रचंड वेग को रोक पाना शिलाखंड के वश की बात नहीं रह जाती है। कर्म के शृंगार से ही व्यक्ति का व्यक्तित्व निखरता है। कर्म करार में यदि निष्ठा और समर्पण अधूरा है तो सारा प्रयोग प्रयास और अभ्यास व्यर्थ का कूड़ा हो जाता है। प्रस्तुत पुस्तक सकारात्मक प्रयासों की एक प्रेरणादायक कड़ी है होश में रहकर जोश-जुनून का बेहतर सामंजस्य है आनंद उत्साह उमंग के साथ कर्म करने की प्रेरणा है हर परिस्थिति में जीतने का भाव है जो निश्चय ही जीवन के हर क्षेत्र में सहायक और सिद्धिदायक है।