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About The Book
Description
Author
ष्नैसर्गिक काव्य-प्रतिभा से समृद्ध मन और मस्तिष्ष्क के अद्भुत समन्वयक हैं श्री राज़ सागरी। म.प्र. के सागर में आविर्भूत कवि/षायर संस्कारधानी जबलपुर के प्रतिष्ष्ठित सुरक्षा संस्थान आर्डनेंस फैक्टरी खमरिया को अपनी कर्मभूमि बनाने आया तो फिर यहीं का होकर रह गया। राष्ष्ट्रीय क्षितिज पर अपने लेखन से बहुविधाकार और हिंदी उर्दू बंुदेली में समान रूप से स्थापित साहित्यकार से मेरा मैत्रीपूर्ण निकट संपर्क विगत 42 वष्र्षों से है। व्यक्तित्व और कृतित्व में उत्कृष्ष्ट समन्वय रखने वाले सागरी जी का मानव-जीवन परिवार समाज और राष्ष्ट्र के प्रति विषिष्ष्ट सैद्धांतिक मान्यता है। सागरी किसी पूर्वाग्रह में नहीं पड़ते। देष काल से निर्मित विभिन्न परिस्थितियों की माँग के अनुसार स्वयं को ढालने की उनमें विषेष्ष क्षमता है इसीलिए वे अपनी रचनाओं में बहुवर्णी भावभंगिमायें सहजता से चित्रित करके लोकप्रिय सिद्ध हुए हैं। उनका मानना है कि पहले राष्ष्ट्र फिर समाज फिर परिवार और अंत में व्यक्तिगत हित का स्थान होता है। जीवन में ‘ढाई आखर प्रेम’ का महत्व उनकी आधा दर्जन कृतियों में बड़ी तन्मयता और गहराई से उभरा है। जीवन का अर्थ उनकी दृष्ष्टि में जीवंतता है। वे निराषा त्यागकर सदा नई उर्जा और उत्साह से संयुक्त होकर समय के साथ कदम मिलाकर चलने में विष्वास रखते हैं। सद्यः प्रकाषित ग़ज़ल-संग्रह ‘उसने कहा नहीं नहीं’ सागरी जी की साहित्य यात्रा में एक और मील का पत्थर सिद्ध होने जा रहा है। यषःकाय के रूप में व्यक्ति अमर हो जाता है सारा मानव समाज सद्भावी व्यक्तित्व के आगे नतमस्तक होता है यह एक प्रेरणा जगाने वाली सैद्धांतिक और व्यावहारिक अभिव्यक्ति है। ष्