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‘‘हटो छोड़ो मुझे मेघ बुन्नी में किधर जाऊँ सो यहीं चहलकदमी कर रहा हूँ। क्या कहती हो तुम मैं बैठ जाऊँ?’’ नाराजगी भरे स्वर में कहा। सपना नीचे उनके घुटने के पास बैठ गई। उनके घुटने सहलाने लगी। ‘‘नानाजी क्या नानी माँ या बूढ़ी नानी ने आपको कभी ऊँट कहा?’’‘‘कहा कहा क्यों नहीं? मेरी माँ ने तो ऊँट घोड़ा गदहा सबकुछ कहा। उन्होंने जो कहा वह मैंने किया। है कि नहीं? बताओ!’’‘‘और नानी माँ ने कहा कभी ऊँट?’’‘‘नहीं कभी नहीं।’’‘‘पक्का?’’‘‘पक्का’’—नाना ने सपना का मुस्कुराता चेहरा इस धुँधले बल्ब में देखा और समझ गए कि इ