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About The Book
Description
Author
आजादी मिले कितने बरस हो गये थे। भारत में अभी भी जातिवाद संप्रदायवाद असमानता जैसे गंदे विचार मौजूद थे। बरसों से यही चली आ रही थी अभी भी है और नही लगता कि यह पूर्णरूपेण खत्म होगा इसलिए सारे भारतीय इस माहौल में रंग चुके थे और कुछ को न भी चाहते हुए रंगना इसमें उनकी मजबुरी थी। बड़े लोग छोटे लोग जातियता के आधार पर भी होते थे। अधिक पैसे वाले लोग उच्च जाति के होते यह उस समय का उसूल ही था। आज प्रायः देखने को मिलता है ऊँचे जाति के लोग प्रायः अच्छे खान पान करते हैं अर्थात् उनका जीवन स्तर ऊँचा ही रहता है। बड़े लोग बड़े ही बना रहते हैं और छोटा हमेशा छोटा यह हमारे समाज का उसूल बन चूका है।