*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹155
₹175
11% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
“वृहद सामाजिक परिवर्तन की आहट आज के समाज में साफ तौर पर देखी जा सकती है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि भारत में उत्तर आधुनिकता का आगमन नहीं हुआ है बल्कि वह थोप दी गई है। पूर्व में मैं यह बात लिख चुका हूँ कि मैं उत्तर आधुनिकता का आगमन बिन्दु भारत में ‘स्वतंत्रता’ के दिन से ही मानता हूँ। कुछ लोगों को मेरे विचारों से असहमति हो सकती है; लेकिन व्यापकता और गहराईपूर्वक देखा जाय तो भारत में सामाजिक अस्मिताओं के उठने और नई सामाजिकता का दौर भी यही है। स्त्री दलित आदिवासी किसान आदि विमर्श इसी दौर की देन हैं और इनसे ही ‘लोक आस्था’ का नया रूप विकसित हुआ है जो समाज में एक ऐसे स्वरूप का निर्माण करता है जिसमें जीवन के नए सौन्दर्यशास्त्र की माँग की जाती है और सम्पूर्ण जीवन बदलाव की प्रक्रिया ही है जो उत्तर समय की सबसे बड़ी माँग है।“