प्रस्तुत पुस्तक उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार का ग्रामीण समुदाय पर प्रभाव का आलोचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करती है। यह अध्ययन दो भागों में विभाजित है; प्रथम तीन अध्याय उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार के अधिनियमों के अधिनियमित होने एवं क्रियान्वयन से संबंधित हैं जबकि द्वितीय भाग के तीन अध्याय उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार का ग्रामीण समुदाय पर प्रभाव से संबंधित है। इस पुस्तक में भूमि सुधार को एक सामाजिक नीति के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास है। यह पुस्तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के डॉक्टोरल शोध प्रबंध का पुस्तकीय रूप है। प्रस्तुत अध्ययन को पूर्ण करने में सयाजी राव गायकवाड़ केन्द्रीय ग्रन्थालय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय केंद्रीय पुस्तकालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय केंद्रीय राज्य पुस्तकालय इलाहाबाद टैगोर पुस्तकालय लखनऊ विश्वविद्यालय केन्द्रीय पुस्तकालय काशी विद्यापीठ लखनऊ राष्ट्रीय अभिलेखागार नई दिल्ली उत्तर प्रदेश प्रादेशिक अभिलेखागार लखनऊ क्षेत्रीय अभिलेखगार वाराणसी एवं इलाहाबाद के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का आभारी हूँ जिनके सहयोग से महत्वपूर्ण दस्तावेज और संबंधित ग्रन्थ के अध्ययन का अवसर प्राप्त हुआ। इसके साथ मैं उन सभी विद्वानों का आभारी हूँ जिनकी पुस्तकों ने इस महत्वपूर्ण कार्य में सहयोग प्रदान किया। मैं भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली का आभारी हूँ जिसके वित्तीय सहयोग से यह अध्ययन पूर्ण हो सका।
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