अनुभव से सीख और सीख से शिक्षा का जन्म हुआ होगा ऐसा माना जा सकता है। अतिप्राचीन काल में सीख का प्रणेता थे समुदाय के बुजुर्गवार। बहुत सारी कहानियां मिलती है हमें जो यह बताती हैं कि पहले बड़े-बुजुर्ग का परिवार समुदाय गांव और शहर आदि में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता था। जहां बुजुर्ग होते थे वह समाज सम्मानित समाज माना जाता था। बुजुर्ग शिक्षित हैं या नहीं यह महत्वपूर्ण नहीं था। उनका अनुभव महत्वपूर्ण था और उनके अनुभव से उपजे वचन पीढ़ियों के लिए अनमोल वचन बन गए जिसने हर युग में मार्गदर्शन का काम किया।
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