Vairagya Shatak
Hindi


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE

Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Fast Delivery
Fast Delivery
Sustainably Printed
Sustainably Printed
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.

About The Book

वैराग्य शतकम् में भर्तृहरि ने कारुण्य और निराकुलता के साथ संसार की नश्वरता और वैराग्य की आवश्यकता पर बल दिया है। संसार एक विचित्र पहेली है-कही वीणा का सुमधुर संगीत है कही सुन्दर रमणीयाँ दिख पड़ती हैं तो कहीं कुष्ठ पीडि़त शरीरों के बहते घाव तो कहीं प्रिय के खोने पर बिलखते स्वजन अतः पता नहीं यह संसार अमृतमय है या विषमय वरदान है या अभिशाप। वैराग्य शतकम् में भर्तृहरि क्या कहते हैं बुद्धिमान लोग ईर्ष्या ग्रस्त हैं राजा अथवा धनी लोग धन के मद में मत्त हैं अन्य लोग अज्ञान से दबे हुये हैं अतः सुभाषित (उत्तम काव्य) शरीर में ही जीर्ण हो जाते हैं।. About the Author भर्तृहरि संस्कृत मुक्तककाव्य परम्परा के अग्रणी कवि हैं। भारतीय साहित्य के इतिहास में भर्तृहरि एक नीतिकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनके शतकत्रय की उपदेशात्मक कहानियाँ भारतीय जनमानस को विशेष रूप से प्रभावित करती हैं। प्रत्येक शतक में सौ-सौ श्लोक हैं। बाद में इन्होंने गुरु गोरखनाथ के शिष्य बनकर वैराग्य धारण कर लिया था इसलिए इनका एक लोकप्रचलित नाम बाबा भरथरी भी है।.
downArrow

Details