इस पुस्तक को पढ़ने से सुधि पाठक को भक्ति काल और रीतिकाल के काव्य का स्मरण हो जाएगा। गुरु का महत्व पहले भी था आज भी है और भविष्य में भी रहेगा। उसी तरह से भक्ति का भाव कालातीत है उसमें अधिकता और न्यूनता आती रहती है। नीति नवनीत में समसामयिक मनुष्य की प्रवृत्ति को उकेरा गया है कि आज का मनुष्य किस तरह से लोगों के साथ व्यवहार करता है । संसार नश्वर है इसे हम नश्वरता से समझ सकते हैं और संसार रहस्यमय है रहस्य के दोहों से यह भी समझा जा सकता है। ऋतु वर्णन के दोहों से हम यह समझ सकते हैं कि ऋतुएँ किस तरह से मनुष्य के जीवन को प्रभावित करती हैं।
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