विश्व के महान उपन्यासकार प्रेमचंद के वरदान का संदेश यही है कि व्यक्ति को मोह त्यागकर सामाजिक भलाई के कामों में जुटे रहना है। सुवामा का पुत्र प्रताप ऐसा ही पात्र है जो बालाजी बनकर दुखी दरिद्रों दलितों तथा छोटी जाति के लोगों की निस्वार्थ सेवा करता है। इसमें नारी की दुर्दशा विरजन के माध्यम से चित्रित हुई है जो बेमेल विवाह की विडंबना को झेलती रहती है।About the Authorप्रेमचंद हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव प्रेमचंद को नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है। वे एक संवेदनशील लेखक सचेत नागरिक कुशल वक्ता तथा सुधी (विद्वान) संपादक थे। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया।
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