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About The Book
Description
Author
क्या कवि कविता लिखने से पूर्व यह योजना बना सकता है कि उसे एक कविता में कौन से मूल्यों विचारों यथार्थ एवं जीवनस्थितियों का सृजन करना है। इसके लिए वह किन प्रविधियों कौशलों एवं अन्य आश्रयादि का उपयोग करेगा। किन ध्वनियों संकेतों अथवा बिम्बों का प्रयोग होगा। कौन से शब्दों में लय या पैटर्न होंगे। आदि आदि। कविता पर अकादमिक बहस ऐसे ही होती है जैसे कवि यह सब योजना बनाकर करता है। रचनात्मक समीक्षा में भी हम कविता से ऐसे ही आग्रह रखते हैं। एक कविता जो पाठ्यक्रम में लगी है उसका पाठ भी ऐसे ही किया जाता है जैसे कवि ने कविता को एक खास प्रयोजन से किसी वर्क शाप में निर्मित किया हो। जब हम आप कविता से प्रायः शास्त्र या विज्ञान की तरह सलूक करना चाहते हैं तो मैं इस संभावना की तलाश कर रहा कि क्या कवि इसे शास्त्र या विज्ञान की तरह निर्मित कर सकता है?