*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹163
₹225
27% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
ब्रह्मांड में प्रत्येक वस्तु का निर्माण पाँच तत्त्वों (आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी) से ही हुआ है। प्रकृति के इन पाँच तत्त्वों के समानुपातिक सम्मिश्रण का नाम ही वास्तुशास्त्र है। वास्तु के पाँच तत्त्वों का शरीर के पंचमहाभूतों से अनन्य संबंध होता है। इनके तारतम्य से व्यक्ति स्वस्थ, सुखमय एवं वैभवशाली जीवन जीता है, तो इनके वैमनस्य से जीवन पर निषेधात्मक प्रभाव पड़ता है। वास्तुदोष जिस भवन में स्थान बना लेता है, उस पर सदैव दरिद्रता की छाया डॉ. प्रमोद कुमार सिन्हा और क्लेश का वातावरण बना रहता है। सुख दूर भागते हैं तथा लक्ष्मी का प्रवेश बाधित होता है अर्थात् समस्याएँ निरंतर आती रहती हैं। इन्हीं समस्याओं को केन्द्रित करके श्री प्रमोद कुमार सिन्हा जी ने अपने अनुभव से यह बताया है कि किस तरह वास्तुशास्त्र हमें आकांक्षाओं और वास्तविकताओं के अनुरूप जीवन जीने की प्रेरणा देता है, प्रत्येक वस्तु, चाहे व सजीव हो या निर्जीव, का सही ढंग से रखरखाव ही वास्तुशास्त्र है। हर आम आदमी को यह पता होना चाहिए कि कौन सी वस्तु कहाँ स्थापित करनी है। अगर हम वास्तुशास्त्र के दिशा-निर्देशों पर चलें तो खुशहाल जीवन जी सकते हैं। अगर किसी भवन या भूमि में वास्तुदोष हो, तो उन्हें उपाय द्वारा ठीक किया जा सकता है। यही श्री प्रमोद कुमार सिन्हा जी ने बड़े सरल तरीके से बताने की कोशिश की है। जैसा कि पुस्तक अपने नाम से ही चरितार्थ करती है 'वास्तु से सुधार, पाओ धन अपार'। अतीत की दुर्गम कंदराओं से झाड़-पोंछ कर निकाली गई ये 'मणियां' आपका भविष्य निश्चित रूप से आलोकित करेंगी और सारे अभाव भी दूर करेंगी। ऐसी हमारी परम पिता परमेश्वर से करबद्ध प्रार्थना है।