*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹430
₹450
4% OFF
Hardback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
सर्वाधिक प्रसिद्ध उपन्यास वयं रक्षामः का मुख्य पात्र रावण है न कि राम। इसमें रावण के चरित्र के अन्य पक्ष को रेखांकित करते हुए उसको राम से श्रेष्ठ बताया गया है। हिंदुस्तान की आर्य संस्कृति पर इस पुस्तक में कुछ इस तरह आचार्य चतुरसेन प्रकाश डालते हैं- उन दिनों तक भारत के उत्तराखण्ड में ही आर्यों के सूर्य-मण्डल और चन्द्र मण्डल नामक दो राजसमूह थे। दोनों मण्डलों को मिलाकर आर्यावर्त कहा जाता था। उन दिनों आर्यों में यह नियम प्रचलित था कि सामाजिक श्रंखला भंग करने वालों को समाज-बहिष्कृत कर दिया जाता था। दण्डनीय जनों को जाति-बहिष्कार के अतिरिक्त प्रायश्चित जेल और जुर्माने के दण्ड दिये जाते थे। प्रायः ये ही बहिष्कृत जन दक्षिणारण्य में निष्कासित कर दिये जाते थे। धीरे-धीरे इन बहिष्कृत जनों की दक्षिण और वहां के द्वीपपुंजों में दस्यु महिष कपि नाग पौण्ड द्रविण काम्बोज पारद खस पल्लव चीन किरात मल्ल दरद शक आदि जातियां संगठित हो गयी थीं। पुस्तक के अनुसार रावण ने दक्षिण को उत्तर से जोड़ने के लिए नयी संस्कृति का प्रचार किया। उसने उसे रक्ष-संस्कृति का नाम दिया।