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About The Book
Description
Author
हमारे हिंदी साहित्य का जो रूप आज हमें दिखता है जिन तमाम विविधताओं से हमारा साबका होता है उसके निर्माण में अर्पित कई बड़े साहित्यकारों का योगदान निश्चित तौर पर भुलाया नहीं जा सकता। आचार्य चतुरसेन शास्त्री उन्हीं महान साहित्यकारों में से एक हैं। पंडित जी का गद्य भारतीय संस्कृति के लिए एक उपलब्धि है। हमारे अतीत की एक गंभीर तस्वीर उनके रचना संसार में मौजूद है। उनका दृष्टिकोण हमेशा ही नए मूल्य की स्थापना के लिए विकल रहा यही कारण है कि उन्होंने अपनी इस कथा का नायक रावण को बनाया और इस उपन्यास वयं रक्षामः की रचना की। पाठकों के हाथों में यह रचना सौंपते हुए हमें बेहद खुशी हो रही है।