डॉ राकेश कुमार आर्य आर्यजगत के जाने-माने इतिहासकार हैं। वह अपने बाल्यकाल से ही अपने पूज्य माता-पिता के दिए हुए संस्कारों और पारिवारिक परिवेश के कारण आर्य समाज से जुड़े रहे हैं। यही कारण है कि उनके लिखे हुए साहित्य में आर्य समाज का विशुद्ध राष्ट्रवाद स्पष्ट झलकता है।<br>17 जुलाई 1966 को ग्राम महावड़ जनपद बुलंदशहर (वर्तमान गौतम बुद्ध नगर) में जन्मे डॉ आर्य इस समय आर्य उप प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के अध्यक्ष भी हैं। इसके साथ ही वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश आर्य वीर दल के बौद्धिक आचार्य के दायित्व का भी निर्वाह कर रहे हैं।<br>इस समय संपूर्ण आर्य जगत स्वामी दयानंद जी की 200 वीं जयंती आर्य समाज की स्थापना के 150 वें वर्ष और स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज के बलिदान दिवस के शताब्दी समारोह के कार्यक्रमों को मना रहा है। जिसमें डॉ आर्य अपनी टीम सहित विशेष कर्मठता का प्रदर्शन कर रहे हैं।<br>आर्य समाज का यज्ञ हवन और उसमें स्वस्तिवाचनम और शांतिकरण के मंत्र समाज और राष्ट्र में सुख और शांति की कामना के साथ बोले जाते हैं। स्वामी दयानंद जी महाराज ने यज्ञ हवन के लिए उन वेद मंत्रों का चयन किया है जिनसे राष्ट्र में शांति व्यवस्था बनी रहे।<br>इस पुस्तक में संध्या प्रार्थना स्वस्तिवाचन शांतिकरण आदि के जितने भी मंत्र दिए गए हैं वे सभी सार्वदेशिक धर्मार्य सभा से स्वीकृत पद्धति के आधार पर लिए गए हैं।<br>जन सामान्य को स्वामी दयानंद जी और आर्य समाज के समाज और राष्ट्र संबंधी उत्कृष्ट विचारों से परिचित कराने और उन्हें वेदभक्त देशभक्त और ईश्वर भक्त बनाने के उद्देश्य से यह पुस्तक तैयार की गई है। जिसमें लेखक डॉ आर्य द्वारा स्वरचित भजनों और गीतों की भी प्रस्तुति दी गई है।<br>पुस्तक बहुत ही पठनीय है।<br>ब्रह्मचारी अरुण कुमार आर्यवीर
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.