मुस्लिम तुष्टिकरण देश को गांधीजी की देन है। जिसके कारण देश को विभाजन की पीड़ा से गुजरना पड़ा। स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज और सावरकर जी जैसे राष्ट्रवादी क्रांतिकारियों के बार-बार टोकने के उपरांत भी गांधी जी अपनी नीतियों से बाज नहीं आये। वह निरंतर मुस्लिम तुष्टिकरण का खेल खेलते रहे। करने के लिए गांधी जी को हिंदुओं के हितों की बलि चढ़ाने की आवश्यकता अनुभव हुई तो उन्होंने हिंदूहितों को खुशी-खुशी बलि चढ़ा दिया। इसके चलते उनकी तीखी आलोचनाएं की गई। परंतु उन्होंने इस प्रकार की आलोचनाओं का कोई संज्ञान नहीं लिया। उनकी इस प्रकार की नीतियों के कारण देश को विभाजन की विभीषिका का सामना करना पड़ा।<br>राकेश कुमार आर्य जादा जब भी उनका मुस्लिम समाज से सामना हुआ और उन्हें खुश करने का प्रयास किया गया है कि गांधी जी की हिंदू विरोधी मानसिकता और मुसलमानों को संतुष्ट करने की अनीतिपरक नीतियों के कारण देश का विभाजन हुआ। इस विभाजन के लिए सावरकर जी या स्वामी श्रद्धानंद जी या आर्य समाज या हिंदू महासभा या किसी भी हिंदूवादी संगठन अथवा राजनीतिक दल को दोषी ठहराना आत्मप्रवंचना के अतिरिक्त कुछ नहीं। विद्वान लेखक का मानना है कि गांधी जी की अहिंसा की नीति देश के लिए घातक रही।<br>अभी तक 87 पुस्तकें लिख चुके डॉ. आर्य का साहित्य लेखन पूर्णतया राष्ट्रपरक होता है। उनका प्रयास रहता है कि उनकी प्रत्येक पुस्तक राष्ट्रबोध इतिहास बोध संस्कृति बोध और धर्मबोध कराने वाली हो। जिससे स्वाधीनता पूर्व के सांप्रदायिकता के भूत को समझने में वर्तमान पीढ़ी को सहायता प्राप्त हो सके। प्रस्तुत पुस्तक भी इतिहास का एक ऐसा ही दस्तावेज है जिसे समझकर आने वाली पीढ़ियां लाभान्वित होंगी। विद्वान लेखक ने जिस प्रकार सत्य तथ्य और कथ्य को स्पष्ट करने और एक साथ विद्वतापूर्ण ढंग से पिरोने का कार्य किया है वह प्रशंसनीय है।<br>हमारा विश्वास है कि यह ग्रंथ हमारे वर्तमान युवा पीढ़ी को अपने स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास के विषय में नए-नए आयामों से परिचित कराएगा प्रचलित मान्यताओं को बदलकर सटीक तार्किक और प्रामाणिक मान्यता को स्थापित करेगा।
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