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About The Book
Description
Author
“इस समय भारत में और विशेषत: हिन्दी अंचल में परम्परा के अज्ञान और उसकी दुव्र्याख्या भयावह रूप से फैल रही है। इसके बावजूद हमारे पास ऐसे सजग ज्ञानसम्पन्न चिन्तक हैं जिनकी परम्परा में पैठ हमें अपनी आधुनिकता को नये आलोक में देख-समझने की उत्तेजना देती रही है। इनमें से एक हैं नवज्योति सिंह जिनसे एक लम्बी बातचीत यहाँ पुस्तकाकार प्रकाशित की जा रही है। वे नये प्रश्न उठाते हैं नयी जिज्ञासा उकसाते और विचार की नयी राहें खोजने की ओर बढ़ते हैं। हिन्दी वैचारिकी की जो शिथिल स्थिति है उसके सन्दर्भ में यह पुस्तक एक विनम्र इज़ाफे की तरह है। उम्मीद है कि यह विचार-विचरण पाठक पसन्द करेंगे।” --अशोक वाजपेयीनवज्योति सिंह का परिचयनवज्योति सिंह देश की अग्रणी दर्शनिक और इण्टरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इनफारमेशन टेक्नॉलाजी हैदराबाद में एक्ज़ेक्ट ह्यूमेनिटीज़ के संस्थापक और अध्यक्ष। भारतीय तकनीकी संस्थान (आई.आई.टी.) कानपुर से स्नातक के बाद नाभिकीय तकनीकी में उच्च अध्ययन। बाद के बरसों में भारतीय सभ्यता में विज्ञान के इतिहास और दार्शनिक आधारों पर शोध। समाज और कलाओं पर सत्ता विषयक चिन्तन। भारतीय/यूनानी विश्लेषणात्मक परम्पराओं की तर्क पद्धतियों और आधुनिकता पर शोध। इन दिनों मानविकी के आधारों पर सत्ता विषयक यान्त्रिकी और डिजीटल मानविकी पर विशेष कार्य। सम्पादित पुस्तकें : टेम्पोरेलिटी एण्ड लॉजिकल स्ट्रक्चर : एण्ड इण्डियन पर्सपेक्टिव सृष्टि इट्स फिलोसोफिकल एनटेलमेण्ट्स। पिछले कुछ बरसों से अन्त:करण : मैकेनिक्स ऑफ माइण्ड पंगचुएटिंग रिएलिटरी : टूवर्डस फॉर्मल फाउण्डेशन ऑफ जस्टिस हिस्ट्री एण्ड सोसायटी और फ्लेवर ऑफ रीजन इन इण्डियन सिविलाइज़ेशन अपनी इन तीन पाण्डुलिपियों को अन्तिम रूप दे रहे हैं।