Vicharo Ki Son Chiraiya


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE

Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Fast Delivery
Fast Delivery
Sustainably Printed
Sustainably Printed
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.

About The Book

मैं अपने बारे में क्या बताऊँ। स्वान्तः सुखाय लिखती थी। कोरोना वायरस में लेखनी चल पड़ी। कश्मीर की वादियों में 13 सितंबर 1947 को जन्म हुआ। अपने पिता श्री शंभू नाथ कौल की द्वितीय संतान रही। उसके बाद पिताजी को ग्वालियर आना पड़ा और हम सब का पालन पोषण ऐतिहासिक नगरी ग्वालियर में हुआ। वहाँ जीवाजी विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले एम एल बी कॉलेज से एम ए संस्कृत में किया तत्पश्चात हिंदी में एम ए नौकरी करते हुए हिमाचल वि से एम.एड. किया। 1969 में केंद्रीय विद्यालय संगठन के के वी ग्वालियर में ज्वाइन किया और वहां से विभिन्न पदों पर रहते हुए भारत के विभिन्न केन्द्रीय विद्यालय कोरबा के वी सागर कामठी सूरत और ध्रागध्रा में नौकरी करते हुए अंत में दिल्ली कै केंद्रीय विद्यालय से प्राचार्य रूप मे रिटायर हुई । अध्ययन करते समय समय कॉलेज की सर्वोत्कृष्ट छात्रा के रूप में रजत पदक (सिल्वर मेडल) अंतर महाविद्यालयीन संस्कृत वाद विवाद प्रतियोगिता (कालिदास समारोह उज्जैन) में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। आचार्य नंददुलारे वाजपेई के द्वारा मुझे प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। ग्वालियर में पिताजी की प्रेरणा से समाचार पत्रों में नियमित लेखन कार्य चलता रहा। यदा-कदा आकाशवाणी से कहानी का प्रसारण । केन्द्रीय विद्यालय में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का संचालन और निदेशन। कई स्वरचित नाटको का मंचन भी किया । के वि के सेवाकाल में बहुत से साहित्यकारों के संपर्क में आने का सौभाग्य मिला श्री नेमीचन्द जैन अशोक वाजपेई जी डॉ शिवमंगल सिंह सुमन बरसाने लाल चतुर्वेदी जी बशीर बद्र जी चित्रा मुद्गल सरोजनी प्रीतमजी के समक्ष मंच संचालन एवम काव्यपाठ का कार्य किया। आज मेरे सृजन का प्रथम पुष्प समर्पित करते हुए मुझे बेहद खुशी है।
downArrow

Details