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About The Book
Description
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विनम्रता मानव जीवन में सबसे शक्तिशाली और महत्त्वपूर्ण गुणों में से एक है। विनम्र होना विश्वास बनाने में मदद करता है और सीखने की सुविधा देता है जो नेतृत्व और व्यक्तिगत विकास के प्रमुख पहलू हैं।नम्रता वस्तुतः वह भावना या दृष्टिकोण है जहाँ आप स्वयं को विशेष महत्त्व न देकर अभिमान रहित निस्स्वार्थ भाव से दूसरों की भलाई के विषय में तत्पर रहते हैं। पहली नजर में विनम्रता एक नकारात्मक गुण की तरह लग सकती है—एक ताकत के बजाय कमजोरी के संकेत की तरह परंतु वास्तव में विनम्रता एक ऐसा गुण है जो आपको दूसरों की अपेक्षा श्रेष्ठ स्थापित करते हुए आपके जीवन को बहुत आगे ले जाएगी। आइए इसे दूसरे तरीके से देखें। जिस व्यक्ति में नम्रता का अभाव होता है वह अपने बारे में सोचता है और खुद को दूसरों से ऊँचा और बेहतर देखता है। ऐसे व्यक्ति से सब बचना चाहते हैं।हम जिस अहंकार के युग में रहते हैं उसमें विनम्रता की शक्ति छिपी हुई है उसे व्यक्तित्व का हिस्सा बनाना अत्यंत आवश्यक है। विनम्रता के लिए अत्यधिक आत्मज्ञान आत्मनियंत्रण और आत्मसम्मान की आवश्यकता होती है।चाहे व्यक्ति हो संगठन हो या संस्था हो विनम्रता से ही शिखर तक पहुँचा जा सकता है। इसलिए विनम्रता को सफलता का मूलमंत्र भी कहा गया है।अगर नेतृत्व विनम्र है तो सब लोगों को साथ लेकर चलने की कला का स्वतः ही विकास हो जाता है। जरूरत पड़ने पर सब की सलाह और सहयोग लेने की क्षमता भी विकसित हो जाती है।