*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹183
₹200
8% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
जब-जब देश में मुगलों का राज्य समाप्त होना हो या अंग्रेजों के राज का समाप्त होना हुआ तब-तब बंगाल की हरी-भरी धरती पर अकाल पड़ा था। उस समय बंकिमचंद्र चटर्जी ने आनंद मठ लिखा था। जब अंग्रेजों का राज्य समाप्त होया और फिर से धरती पे काल पढने लगा उसका वर्णन करते हुए मैंने इसीलिए इस पुस्तक को विषाद मठ नाम दिया। प्रस्तुत उपन्यास तत्कालीन जनता का सच्चा इतिहास है। इसमें एक भी अत्युक्ति नहीं कहीं भी जबर्दस्ती अकाल की भीषणता को गढ़ने के लिए कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं। जो कुछ है यदि सामान्य रूप से दिमाग में बहुत अमानुषिक होने के कारण आसानी से नहीं बैठता तब भी अविश्वास की निर्बलता दिखाकर ही इतिहास को भी तो फुसलाया नहीं जा सकता विषाद मठ हमारे भारतीय साहित्य की महान् परंपरा की एक छोटी-सी कड़ी है जीवन अपार है अपार वेदना भी है किंतु यह श्रृंखला भी अपना स्थायी महत्त्व रखती है।<br>रांगेय राघव हिंदी के उन विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभावाले रचनाकारों में से हैं जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस उम्र इस संसार में आए लेकिन अल्पायु में ही एक साथ उपन्यासकार कहानीकार निबंधकार आलोचक नाटककार कवि इतिहासवेत्ता तथा रिपोतांज लेखक के रूप में स्वंय को प्रतिस्थापित कर दिया साथ ही अपने रचनात्मक कौशल से हिंदी की महान सृजनशीलता के दर्शन करा दिए। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर जीवनीपरक उपन्यासों का ढेर लगा दिया। विशिष्ट कथाकार के रूप में उनकी सृजनात्मक संपन्नता प्रेमचंदोत्तर रचनाकारों के लिए बड़ी चुनौती बनी।