पिचका पादुका पिंगली विख्यात लेखक विंशभर थानवी की एक रोचक कृति है जिसमें ग्रामीण जीवन की सहजता लोक संस्कृति की रंगीन झलक और मानवीय संवेदनाएँ सुंदर ढंग से प्रस्तुत हुई हैं। पुस्तक की कहानियाँ साधारण पात्रों के माध्यम से गहन जीवन मूल्यों को उजागर करती हैं। इसमें हास्य व्यंग्य और जीवन-यथार्थ का अनोखा संगम है जो पाठकों को मनोरंजन के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर करता है। ग्रामीण परिवेश लोकभाषा और लोकजीवन की सजीव झलक इस पुस्तक को खास बनाती है। यह कृति हर वर्ग के पाठकों के लिए प्रेरणादायी रोचक और स्मरणीय है।
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